खम्मा घणी सा। हम जैसलमेर टूर है। हमारा काम बाहर से आए मेहमानों को जैसलमेर घूमना हैं, उन्हें हम जैसलमेर शहर से दूर रेत के समंदर में बसे जैसलमेर मे घुमाते हैं। जैसलमेर शहर घुमाने के लिए तो आपको कई टूर गाइड मिल जाएंगे लेकिन जो वास्तविक जैसलमेर है जो कि अपनी कुछ विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है जो आपको देश में और कहीं नहीं देखने को मिलेगी। कुछ यहां के लोगों की ऐसी हकीकत की कहानियां है जो आश्चर्यचकित कर देती है, जिन पर विश्वास करना भी मुश्किल होता है। इनमे से कुछ कहानिया पालीवाल ब्राह्मणों की जिन्होंने रातों-रात किसी को पता चले बिना 84 गांव खाली करके चले गए, कुछ कहानियां पानी के लिए मानव के संघर्ष की, कुछ कहानियां अकाल नाम के दानव की जिसका जैसलमेर ठिकाना है और उसके लिए एक कहावत फेमस है कि -
पग पूंगल धड़ कोटडो, उदरज बीकानेर।
भूलो चुको जोधपुर, ठावो जैसलमेर।।
कुछ कहानियां साधु संतों की जिनके के चमत्कारों की कथाए ऐसी है कि उनपर विश्वास करना भी मुश्किल है, कुछ कहानियां वीर नायकों की जिनके बलिदान के कारण यहां की संस्कृति अभी तक अक्षुण्ण है, कुछ कहानियां ऐसे राष्ट्र प्रेमियों की जिनके कारण सिंध से सटे होने पर भी बाहरी आक्रमणकारी यहा अधिकार नहीं कर पाए और ऐसी कहानियां तो आपको हर गांव में मिल जाएगी की फलान जी ने अकेले 200- 300 यवनों की टुकड़ी से भिड गए क्योंकि वह गांव की गायों को लेकर जा रहे थे या गांव को लूट के लेकर जा रहे थे और जब उन वीरों का लड़ते हुए सर धड़ से अलग हो जाता था, फिर भी जब तक वह अपनी गायों को नहीं छुड़ा लेते या उन यवनों को वहां से नहीं भगाते थे तब तक उनका धड़ लड़ता था। कहानियां इन विकट परिस्थितियों में भी एक दूसरे का साथ निभाते हुए जीवन यापन करने की, कहानियां बेहतरीन नक्काशी की जो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है, कहानी एक किले की जिसका निर्माण बिना किसी चुने या गारे के प्रयोग से किया गया है वह किला पत्थर पर पत्थर रखकर बनाया गया जिसने ना जाने कितने युध्दो को देखा है और ना जाने कितने आघातो को सहा है लेकिन फिर भी लगभग 870 सालों से वैसे के वैसा खड़ा है । आप सोच सकते उस समय यहां के लोगों में क्या कारीगरी रही होगी कि उन्होंने एसे विशाल और अजय दुर्ग का निर्माण किया जो 1156 से लेकर आज तक उसी मजबूती के साथ खड़ा है। कहानी यहां के शाको की जहां वीरो ने केसरिया किया और वीरांगनाओं ने जोहर किया, आप सोच सकते हैं कि यहां के लोगों में अपनी स्वतंत्रता,अपनी मातृभूमि के प्रति कितना लगाव रहा होगा की उन्होंने इस मरुस्थल के लिये अपने प्राण त्याग दिये और इस मरुस्थल से कितना प्रेम रहा होगा की किसी की अधीनता स्वीकार करने के बजाए स्वतंत्रता के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त करना स्वीकार किया।ओर भी अनेक एसे किस्से कहानियां है जो आप जैसलमेर शहर में रहकर नहीं बल्कि शहर से बाहर बसे जैसलमेर में जाकर पता चलती है। आप भले कहीं से भी आते हो लेकिन आपका प्राकृतिक परिवेश, आप की संस्कृति, आप की कथा कहानियां पूर्णता जैसलमेर से अलग होगी क्योंकि यहां का जो संघर्ष था वह प्रकृति और बाहरी आक्रमणकारियों दोनों से था लेकिन फिर भी वीरांगनाओं ने ऐसे सपूतों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता बनाए रखने और अपनी संस्कृति की रक्षा को अपना धर्म माना और उनकी रक्षा करते हुए उनके सामने अगर मृत्यु भी आकर खड़ी हो गई तो भी वह पीछे नहीं हटे और उनको यह कतई मंजूर नहीं था कि मेरे जीते जी कोई बाहरी आक्रमणकारी मेरी मातृभूमि पर अधिकार कर ले और यहां की जनता का शोषण। आप जैसलमेर को जानेगे तो आपको पता चलेगा कि यहां का इतिहास बहुत विस्तृत है जिसमें भाटी शासकों ने अपनी 9 राजधानियों की स्थापना की और उनका राज्य एक समय में लाहौर, मुल्तान, कंधार, गजनी से लेकर कश्मीर और मथुरा तक था। गजनी की स्थापना महाराज गंज ने की जो एक महान पराक्रमी भाटी शासक थे। जैसलमेर के इतिहास को जब पढ़ते हैं तो हमें पता चलता है कि जब उत्तर- पश्चिम से आक्रमण होते थे तब आक्रमणकारीयो का सामना सर्वप्रथम भाटी शासकों से होता था और इसीलिए राजपूत राज्यों के उत्तरी सीमा के रखवाले होने के कारण इन्हें उत्तर भड कीवाड भाटी कहां गया। हमारा उद्देश्य आपको वर्तमान जैसलमेर से ना मिला कर उस जैसलमेर मिलाना है जिसने हमारी संस्कृति को बचाने के लिए बहुत कुछ बलिदान किया लेकिन हम केवल किला, हवेलिया और डेजर्ट देखकर वापस चले जाते हैं। हम चाहते हैं कि आप जैसलमेर के अनसुने और अविश्वसनीय किस्सों के भी बारे में जाने क्योंकि जैसलमेर केवल किले, हवेली और रेत के धोरों मैं सिमटा हुआ नहीं है बल्कि यह बहुत विस्तृत है और हमारा यह मानना है कि यदि आप अपने समय और धन को खर्च कर कहीं दूसरी जगह घूमने के लिए जा रहे हैं तो आपको उस जगह के बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए। वहां की संस्कृति ,वहां के संघर्ष, वहां की कला, पुराने समय में वहा की जीवन शैली आदि के बारे में कयोकि वह आपके लिए बहुत अलग है और इन विकट परिस्थितियों में भी लोगों ने केसे अपना विकास किया, यह अपने आप में एक आश्चर्यचकित कर देने वाली बात है उसमें भी जैसलमेर जैसे संकट........
पीने के लिए पानी नहीं, खाने के लिए दाने नहीं, वर्षा की अपर्याप्त, बार-बार अकाल, धूल भरी आंधियां, रेत का समंदर, गर्मियों में 50 डिग्री का तापमान, माइनस में जाता हुआ सर्दीयो में तापमान, भुखमरी,निरंतर बाहरी आक्रमण,नाम मात्र की कृषि आदि।
यदि आप जैसलमेर घूमने के लिए आ रहे हैं और आपकी जिज्ञासा है कि कैसे यहां के लोग इन परिस्थितियों में भी जीवन बहुत आनंद से बीत लेते थे और कैसे इन विकट परिस्थितियों का सामना करते थे या यहां का इतिहास, यहां के लोगों की दिनचर्या ग्रामीण जीवन शैली या पुराने समय में राजतंत्र में शासन और भी अन्य बहुत कुछ जो आप जैसलमेर के बारे में जानना चाहते हो तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं जिसमें आप जो भी जाना चाहते हो उनको जान पाएंगे और रेत के समंदर में दो रातें और 3 दिन बीताएंगे।
तो कब आ रहे है जैसलमेर
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